गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, ह्रुदयरोग नाशक ,शोधनाशक औरलीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्रकरती है, वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है।
• गिलोय के 6″ तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां तुलसी की मिला लेइसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये। और इसकेसाथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गुदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवनकरते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती। और इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट कीमात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोईइलाज नहीं है यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाणहोता है।
• गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने कालक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होताहै ।
• गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
• गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
• गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस कीएक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा।
• गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है।
• क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व, इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
• गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बना कर सेवन करने से कुछ दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा।
• एक चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से पित्त की बिमारियों में सुधार आता है और कब्ज दूर होती है।
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• गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है। औरगिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता है।
• प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री केसाथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
• गिलोय ज्वर पीडि़तों के लिए अमृत है, गिलोय का सेवन ज्वर के बाद टॉनिकका काम करता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में खूनकी कमी (एनीमिया) को दूर करता है।
• फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें। इसतेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होतीहै।
• सुबह शाम गिलोय का दो तीन टेबल स्पून शर्बत पानी में मिलाकर पीने से पसीने से आ रही बदबू का आना बंद हो जाता है।
• गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ सेवन से दिल मजबूत होता है, उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है, गिलोय याददाश्त को भी बढाती है।
• गिलोय का रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें।प्रतिदिन 2 से 3 बार सेवन करे इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जातीहै।
• मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है।
• गिलोय, धनिया, नीम की छाल, पद्याख और लाल चंदन इन सब को समान मात्रामें मिलाकर काढ़ा बना लें। इस को सुबह शाम सेवन करने से सब प्रकार का ज्वरठीक होता है।
• गिलोय, पीपल की जड़, नीम की छाल, सफेद चंदन, पीपल, बड़ी हरड़, लौंग, सौंफ, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्णके एक चम्मच को रोगी को तथा आधा चम्मच छोटे बच्चे को पानी के साथ सेवन करनेसे ज्वर में लाभ मिलता है।
• गिलोय, सोंठ, धनियां, चिरायता और मिश्री को सम अनुपात में मिलाकर पीसकरचूर्ण बना कर रोजाना दिन में तीन बार एक चम्मच भर लेने से बुखार में आराममिलता है।
• गिलोय, कटेरी, सोंठ और अरण्ड की जड़ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पीने से वात के ज्वर (बुखार) में लाभ पहुंचाता है।
• गिलोय के रस में शहद मिलाकर चाटने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है। औरगिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें इससे बारम्बार होनेवाला बुखार ठीक होता है।गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकरलेने से जीर्ण-ज्वर तथा खांसी ठीक हो जाती है।
• गिलोय, सोंठ, कटेरी, पोहकरमूल और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकरकाढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करने से वात का ज्वर ठीक हो जाता है।
• गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी सेसेवन करने से हृदयशूल में लाभ मिलता है। गिलोय के रस का सेवन करने से दिलकी कमजोरी दूर होती है और दिल के रोग ठीक होते हैं।